Ganesh katha
एक बार विनायकजी बालकरूपमें चम्मचभर दूध और चुटकीभर चावल लिये हुए नगरकी गलियोंमें घूम रहे थे और पुकार-पुकारकर कह रहे थे- ‘कोई मेरे लिये खीर बना दे, कोई मेरे लिये खीर बना दे’; परंतु इतने थोड़े-से दूध तथा चावलसे खीर किस प्रकार बन सकती है? अतः कोई भी व्यक्ति उस बालकका काम कर देनेके लिये … Read more