Knowledge & communication skills
Knowledge teaches what to say, communication skills teach how to say. Published on Famous Motivational Tales To read more visit us .
संघर्ष ही जीवन है
🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺 “संघर्ष ही जीवन है“ एक किसान परमात्मा से बड़ा नाराज रहता था ! कभी बाढ़ आ जाये, कभी सूखा पड़ जाए, कभी धूप बहुत तेज हो जाए, तो कभी ओले पड़ जाये! हर बार कुछ न कुछ कारण से उसकी फसल थोड़ी ख़राब हो जाया करती थी ! एक दिन बड़ा तंग आ कर … Read more
दुष्ट सर्प
एक जंगल में एक बहुत पुराना बरगद का पेड था। उस पेड पर घोंसला बनाकर एक कौआ-कव्वी का जोडा रहता था। उसी पेड के खोखले तने में कहीं से आकर एक दुष्ट सर्प रहना लगा। हर वर्ष मौसल आने पर कव्वी घोंसले में अंडे देती और दुष्ट सर्प मौका पाकर उनके घोंसले में जाकर अंडे … Read more
नकल करना बुरा है
एक पहाड़ की ऊंची चोटी पर एक बाज रहता था। पहाड़ की तराई में बरगद के पेड़ पर एक कौआ अपना घोंसला बनाकर रहता था। वह बड़ा चालाक और धूर्त था। उसकी कोशिश सदा यही रहती थी कि बिना मेहनत किए खाने को मिल जाए। पेड़ के आसपास खोह में खरगोश रहते थे। जब भी … Read more
विश्वास
“Men of genius are admired, men of wealth are envied, men of power are feared; but only men of character are trusted.” “बुद्धिमान व्यक्तियों की प्रंशसा की जाती है; धनवान व्यक्तियों से ईर्ष्या की जाती है; बलशाली व्यक्तियों से डरा जाता है, लेकिन विश्वास केवल चरित्रवान व्यक्तियों पर ही किया जाता है।” Published on Famous … Read more
बंदर का कलेजा
एक नदी किनारे हरा-भरा विशाल पेड था। उस पर खूब स्वादिष्ट फल उगे रहते। उसी पेड पर एक बदंर रहता था। बडा मस्त कलंदर। जी भरकर फल खाता, डालियों पर झूलता और कूदता-फांदता रहता। उस बंदर के जीवन में एक ही कमी थी कि उसका अपना कोई नहीं था। मां-बाप के बारे में उसे कुछ … Read more
प्रसन्नता का रहस्य
प्रसन्नता कोई वस्तु नहीं है। प्रसन्नता मनुष्य के सौभाग्य का चिह्न है। प्रसन्नता बाजार में नहीं मिलती है | परमपिता परमेश्वर उन्ही व्यक्तियों पर अपनी कृपादृस्ति बनके रखता है जो सदा प्रसन्नचित्त रहते है। सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं, और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते … Read more
विद्वत्ता का घमंड
महाकवि कालिदास के कंठ में साक्षात सरस्वती का वास था. शास्त्रार्थ में उन्हें कोई पराजित नहीं कर सकता था. अपार यश, प्रतिष्ठा और सम्मान पाकर एक बार कालिदास को अपनी विद्वत्ता का घमंड हो गया. उन्हें लगा कि उन्होंने विश्व का सारा ज्ञान प्राप्त कर लिया है और अब सीखने को कुछ बाकी नहीं बचा. … Read more