सुभाषित
वाणी रसवती यस्य यस्य श्रमवती क्रिया । लक्ष्मीर्दानवती यस्य सफलं तस्य जीवितम् ॥ भावार्थ- जिसकी वाणी रसपूर्ण हो, कर्म-क्रिया श्रमवान हो, और लक्ष्मी दानवती हो उसका जीवन निश्चित ही सफल होता है। शान्तितुल्यं तपो नास्ति न संतोषात्परं सुखम्। न तृष्णया: परो व्याधिर्न च धर्मो दया परा:।। भावार्थ- शान्ति के समान कोई तप नही … Read more