ईसप
जन्म ६२० ईसा पूर्व, मृत्यु ५६४ ईसा पूर्व, Delphi, यूनान, विधा Fable
उल्लेखनीय कार्य Number of fables now collectively known as Aesop’s Fables
ईसप ( ६२० ईसा पूर्व – ५६४ ईसा पूर्व ) प्राचीन एथेंस के कहानीकार थे। ये कई कहनियों के रचनाकार माने जाते हैं। इन कहनियों को एसोप की कहनिया या अंग्रेजी में ईसप फब्लेस (Aesop’s Fables) के नाम से जाना जाता हैं
ईसप जनप्रिय नीतिकथाकार। इनकी कथाओं के पात्र मनुष्य की अपेक्षा पशु पक्षी अधिक हैं। इस प्रकार की कथाओं को “बीस्ट फ़ेबुल्स” कहा जाता है। परंतु ईसप नाम का कोई व्यक्ति कभी था, इस विषय में बहुत कुछ संदेह है। तथापि होरोदोतस एवं कतिपय अन्य लेखकों के साक्ष्य के अनुसार ईसप के जीवन की कथा इस प्रकार की थी : ई.पू. छठी शताब्दी के मध्य में ईसप सामाँस द्वीप के निवासी इयाद्मन् के दास थे, परंतु वे विदेशी दास जिनके विषय में यह निश्चित पता नहीं था कि फ्रयाके, फ्रिगिया अथवा इथियोपिया देशों में से उनका जन्म कहाँ हुआ था। वे अत्यंत कुरूप थे। देल्फी में उन पर देवमंदिर के स्वर्णचषक की चोरी का आरोप लगाया गया और उनकी पर्वतशिखर से धक्का देकर मृत्युदंड दिया गया। पर प्रो॰ गिल्बर्ट मरे को इस कथा पर विश्वास नहीं है।
जो कथाएँ ईसप के नाम से प्रचलित हैं उनका वर्तमान रूप उतना पुराना नहीं है जितना उपर्युक्त कथा के अनुसार होना चाहिए। पाँचवीं शताब्दी ई.पू. से ईसप और उनकी कथाओं की चर्चा चल पड़ी थी। आरिस्तोफ़ानिज़, ज़ेनोफ़न्, प्लेटो और अरस्तू की रचनाओं में इसके संकेत मिलते हैं। सुकरात ने अपने अंतिम समय में कुछ कथाओं को पद्यबद्ध किया था, ऐसा भी कहा जाता है। पर वास्तविकता यह है कि ईसवी सन् के पूर्व इन कथाओं के जो संकलन हुए थे वे अब उपलब्ध नहीं होते। इस समय जो प्राचीनतम संकलन उपलब्ध हुए थे वे फ़ेद्रुस और आवियनुस द्वारा लातीनी भाषा में तथा बाब्रियस द्वारा ग्रीक भाषा में प्रस्तुत किए गए थे। ये सभी लेखक ईसवी सन् के आरंभ के पश्चात् हुए हैं। इसके पश्चात् इन कथाओं का अनुवाद यूरोप की आधुनिक भाषाओं में होने लगा। इन अनुवादों में ज्याँ द ला.फ़ौताई का पद्यबद्ध फ्रेंच अनुवाद अतयधिक प्रसिद्ध है।
आधुनिक समय में ईसप की कहानियों के दो संग्रह फ्रांस और जर्मनी में मूल ग्रीक रूप में प्रकाशित हुए हैं। इनमें से ऐमोल शाँब्री (पेरिस, 1927) संस्करण में 358 कथाएँ हैं तथा टायब्नर की ग्रीक ग्रंथमाला में प्रकाशित हाल्म के संस्करण में 426। ग्रीक संस्करण शनै:-शनै: परिवर्धित होकर इस रूप को प्राप्त हुए हैं।
ईसप की कथाएँ पंचतंत्र की कथाओं के समान मनोरंजन के साथ नीति और व्यवहारकुशलता की शिक्षा देती हैं। यत्रतत्र इनमें हास-परिहास का भी पुट पाया जाता है। जातक कथाओं के साथ भी इनका पर्याप्त साम्य पाया जाता है। कुछ लेखक भारतीय कथाओं को ही ईसप की कथाओं का आधार मानते हैं, अन्य आलोचक इस मत को नहीं मानते। ईसप की कथाओं का अनुवाद हिंदी, संस्कृत एवं अन्य भारतीय भाषाओं में भी हो चुका है।
ईसप की दंतकथाएँ
ईसप की दंतकथाएं या ईसपिका दंतकथाओं का एक संग्रह है जिसका श्रेय 620 ईपू से 520 ईपू के बीच प्राचीन यूनान में रहने वाले एक गुलाम और कथक ईसप को जाता है। उसकी दंतकथाएं विश्व की कुछ सर्वाधिक प्रसिद्ध दंतकथाओं में से हैं। ये दंतकथाएं अजकल के बच्चों के लिए नैतिक शिक्षा का लोकप्रिय विकल्प बनी हुई हैं। ईसप की दंतकथाओं में शामिल कई कहनियां, जैसे लोमड़ी और अंगूर (जिससे “अंगूर खट्टे हैं” मुहावरा निकला). कछुआ और हिरन, उत्तरी हवा और सूरज, लड़का जो चिल्लाया भेड़िया आया और चींटी और टिड्डे की दंतकथाएं पूरे विश्व में अत्यंत प्रसिद्ध हैं।
पहली शताब्दी ईस्वी में तिआना के दार्शनिक अपोलोनियस के द्वारा ईसप के बारे में यह कहने का उल्लेख हैः
… वे लोग जो सबसे सादा खाने को बहुत अच्छी तरह खाते हैं, उसी तरह उसने महत्त्वपूर्ण सच्चाइयों को सिखाने के लिए छोटी-छोटी घटनाओं का उपयोग किया और कहानी सुनाने के बाद वह किसी बात को करने या न करने की सलाह भी जोड़ देता है। तब भी, वह वास्तव में कवियों की अपेक्षा सत्य से अधिक जुड़ा हुआ था, क्योंकि कवि तो अपनी स्वयं की कहानियों को संभव बनाने के लिए उनके साथ बल प्रयोग करते हैं, लेकिन वह कहानी सुना कर, जिसे हर कोई जानता है कि सच नहीं है, इस तथ्य के साथ कि उसने यह दावा नहीं किया कि वे सत्य घटनाएं थीं, सच्चाई कह देता था। (फिलोस्ट्रॉटस, तिआना के अपोलोनियस का जीवन पुस्तक सं:14)
यूनानी इतिहासकार हेरोटोडस के अनुसार ये दंतकथाएं ईसा पूर्व पांचवीं शताब्दी में प्राचीन यूनान में रहने वाले एक ईसप नामक गुलाम द्वारा लिखी गई थीं। इीसप का उल्लेख कई प्राचीन यूनानी ग्रंथों में भी मिलता है- अरिस्टोफेन्स ने अपनी हास्य नाटिका द वॉस्प्स में नायक फिलोक्लिओन को भोज समारोहों में होने वाले वार्तालापों से ईसप का बेतुकापन सीखे हुए होना चित्रित किया थ; प्लेटो ने फीडो में लिखा था कि सुकरात ने ईसप की कुछ दंतकथाओं को, “जो उन्हें याद थीं”, पद्य में परिवर्तित करके अपना जेल का समय काटा था।
बहरहाल, दो मुख्य कारणों से[1] – क्योंकि ईसप से संबंधित दंतकथाओं के अंदर दी गई बहुत सी शिक्षाओं में परस्पर विपोधाभास है और क्योंकि ईसप के जीवन के संबंध में प्राचीन विवरणों में परस्पर विरोधाभास है, अतः अधुनिक दृष्टिकोण यह है कि सारी की सारी दंतकथाएं, जिनका श्रेय उसको दिया जाता है, संभवतः केवल ईसप ने नहीं रची थीं, यदि कभी वास्तव में उसका अस्तित्व रहा था।[1] आधुनिक अधययन से यह पता चलता है कि “ईसपीय” रूप की दंतकथाएं और कहावतें सबसे पहले तीसरी शताब्दी ईसापूर्व सुमेर और आकड दोनों के समय में मौजूद थीं।[2] इसलिए, ईसप की दंतकथाओं के साहित्यिक रूप में रचे जाने का सर्वाधिक प्राचीन उल्लेख प्राचीन यूनान, प्राचीन भारत या प्राचीन मिस्र में नहीं बल्कि प्राचीन सुमेर और आकड में प्रकट हुआ था।[2]
ईसप और भारतीय परंपराएं
ईसप दंतकथाओं और बौद्ध जातक दंतकथाओं तथा हिंदू पंचतंत्र में वर्णित भारतीय परंपराओं में लगभग एक दर्जन दंतकथाएं समान हैं, हालांकि प्रायः उनके वर्णन में व्यापक भिन्नता है। इसलिए इस पर कुछ विवाद है कि यूनानियों ने ये दंतकथाएं भारतीय कथकों से सीखीं या उसका उलटा हुआ या यह पारस्परिक प्रभाव था। लोब के संपादक तथा ईसप की दंतकथाओं की एक निश्चयात्मक सूची के लेखक बेन ई. पेरी[3] ने अपनी पुस्तक बेब्रियस और फीड्रस में चरम स्थिति अपनाई है कि
“संपूर्ण ग्रीक परंपरा में, जहां तक मैं देख सकता हूं, एक भी दंतकथा नहीं है जिसके बारे में यह कहा जा सके कि वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय स्रोत से आई हो, लेकिन कई दंतकथाएं या दंतकथा-रूपांकन जो पहले यूनान या निकट पूर्वी साहित्य में प्रकट हुए और बाद में पंचतंत्र और बौद्ध जातक सहित अन्य भारतीय दंतकथा-पुस्तकों में पाए गए थे”.[4]
हालांकि ईसप और बुद्ध लगभग समकालीन थे, उन की कहानियां तब तक नहीं लिखी गई थीं जब तक कि उनकी मृत्यु के बाद कुछ शताब्दियां नहीं गुजर गईं और कुछ उदासीन विद्वान अब परस्पर विरोधी और अभी तक उभऱ रहे साक्ष्यों के परिप्रेक्ष्य में इतना चरम रवैया अपनाने को तैयार हो गए हैं।
अनुवाद और प्रसारण
ग्रीक संस्करण
कब और कैसे ये दंतकथाएं प्राचीन यूनान से चलकर आईं यह अभी भी एक रहस्य बना हुआ है। कुछ तो किसी भी तरह से बेब्रियस और फीडस से पुरानी नहीं हो सकती, ईसप के कई शताब्दियों बाद, अन्य तो उसके भी बाद. सबसे पुराना उल्लिखित संकलन चौथी शताब्दी ईसा पूर्व के एक अथीनियन वक्ता और राजनेता, फलेरम के देमेट्रियस द्वारा किया गया था, जिन्होंने दंतकथाओं को वक्ताओं के उपयोग के लिए दस पुस्तकों के एक सेट में संकलित किया था। अरस्तू के इस अनुयायी ने, पूर्व के यूनानी लेखकों द्वारा अलग-अलग उद्धरणों के रूप में उपयोग की गई सभी दंतकथाओं को गद्य में रखते हुए मात्र उन्हें सूचीबद्ध किया था। कम से कम यह इसका एक सबूत तो था जिसका श्रेय दूसरों के द्वारा ईसप को दिया गया था; लेकिन इसमें पशु दंतकथाओं, काल्पनिक लघुकथाओं, कार्य-कारण सिद्धांत या व्यंग्यात्मक मिथकों के जरिए मौखिक परंपरा से उन तक पहुंची कोई कहावत या मजाक, जिसे इन लेखकों ने संचारित किया हो, शामिल होने का उन पर आरोपण हो सकता था। यह ईसप के वास्तविक लेखकत्व की बजाय उसके नाम की शक्ति का सबूत अधिक है, जिसने ऐसी कहानियों को अपनी ओर खींचा। जो भी हो, यद्यपि देमेट्रियस के काम का अगली बारह शताब्दियों तक अक्सर उल्लेख किया गया था और इसे ईसप का अधिकृत कार्य माना जाता था, जिसकी कोई प्रतिलिपि अब मौजूद नहीं है।
एसोप के दंकथाओं में दंतकथाओं का एक वंशावली निर्धारित (जोसेफ जेकब्स, 1894)
आजकल के संकलनों का उद्गम बेब्रियस के बाद के यूनानी संस्करणों से हुआ था, जिसमें से कोलिएम्बिक छंद में कोई 160 दंतकथाओं की अधूरी पाडुलिपि मौजूद है। वर्तमान धारणा यह है कि वह पहली शताब्दी ईस्वी में हुआ था। 11वीं शताब्दी में “सिंटीपस” की दंतकथाएं सामने आई थीं जिन्हें अब यूनानी विद्वान माइकल ऐंद्रोपुलस की रचना माना जाता है। ये एक सिरिअन संस्करण का अनुवाद हैं, जो स्वयं बहुत पुराने यूनानी संकलनों से अनूदित था तथा जिनमें कुछ दंतकथाएं ऐसा हैं जो पहले दर्ज नहीं हुई थीं। 9वीं शताब्दी में एक पादरी इग्नेशियस द्वारा कोलिएम्बिक टेट्रामीटर में पचपन दंतकथाओं का संकलन भी पूर्वी स्रोतों से प्राप्त कहानियों के इसमें समावेश के कारण उल्लेख योग्य है।[5]
पहली शताब्दी ईस्वी के ताल्मूड और मिद्राशिक साहित्य पर यहूदी व्याख्याओं में ईसपीय नीतियों के प्रकटीकरण ने उनमें पूर्वी स्रोतों से कहानियों के प्रवेश पर कुछ प्रकाश डाला है। उनमें कोई तीस दंतकथाएं हैं,[6] जिनमें से बारह ऐसी हैं जो यूनानी और भारतीय दोनों स्रोतों में समान है, छः ऐसी हैं जो सिर्फ भारतीय स्रोतों में हैं तथा अन्य छः सिर्फ यूनानी स्रोत में. जहां यूनान, भारत और ताल्मूड में समान दंतकथाएं मौजूद हैं, इनके ताल्मूडिक स्वरूप का दृष्टिकोण भारतीय दृष्टिकोण के अधिक निकट है। इस प्रकार, भेड़िया और सारस की दंतकथा को भारत में शेर और एक अन्य पक्षी की कथा कहा जाता है। जब यहूदियों को रोम के विरुद्ध विद्रोह करने से तथा एक बार फिर से अपने सिर शेर के जबड़ों में देने से रोकने के लिए जोशुआ बेन हनन्याह ने उन्हें यह दंतकथा सुनाई (जन.आर. lxiv) थी, वह भारत से लिए गए कुछ रूपों की उसको अच्छी जानकारी होना प्रदर्शित करता है।
लैटिन संस्करण
ईसप का लैटिन के यांब वाले ट्राईमीटरों में पहला विस्तृत अनुवाद, पहली शताब्दी ईस्वी में सीजर ऑगस्टस की दासता से मुक्त व्यक्ति, फीड्रस द्वारा किया गया था, यद्यपि कम से कम एक दंतकथा अनुवाद दो शताब्दी पूर्व कवि एनियस द्वारा तथा अन्य होरेस के कार्य के रूप में संदर्भित होती हैं। अन्ताकिया के वक्ता एफ्थोनियस ने 315 में इन में से कोई चालीस दंतकथाओं पर एक ग्रंथ लिखा और उसको लैटिन गद्य में परिवर्तित किया। उस समय के तथा बाद के समकालीन प्रयोगों का चित्रण करने के कारण यह अनुवाद उल्लेखनीय है। वक्ता और दार्शनिक ईसप की दंतकथाओं को एक अभ्यास के रूप में अपने शोध छात्रों को देने के अभ्यस्त थे, न सिर्फ उनको कहानी की शिक्षा पर चर्चा करने के लिए उन्हें आमंत्रित करते थे, बल्कि अपने स्वयं के नए संस्करण बनाने के लिए उन पर अभ्यास करने तथा इस प्रकार शैली और व्याकरण के नियमों के अनुसार अपने आप उन्हें पूर्ण करने के लिए भी कहते थे। कुछ समय बाद कवि ऑसोनियस ने इनमें से कुछ दंतकथाएं पद्य में लिखीं, जिनका एक समकालीन लेखक जो अधिक प्रसिद्ध नहीं था, जुलियानस टिटिएनस ने इनका गद्य में अनुवाद किया, तथा 5वीं शताब्दी के आरंभ में एविएनस ने इन 42 दंतकथाओं को लैटिन शोककाव्य में परिवर्तित किया था।
12वीं सदी का स्तंभ, कॉलेजिएटा डी सैंट’ओर्सो के विहार, ओस्टा: एक लोमड़ी और एक सारस
फीड्रस के गद्य संस्करणों में सबसे बड़ा, सबसे पुराना और सर्वाधिक प्रभावशाली वह है जिस पर एक अन्यथा अज्ञात दंतकथाकार रोमुलस का नाम है। इसमें कम से कम 10वीं शताब्दी पुरानी तिरासी दंतकथाएं शामिल हैं, जो “ईसप” के नाम से और भी पुराने और रूफस को संबोधित गद्य संस्करण जिसकी रचना और भी पुराने कैरोलिंगियन काल में हुई होगी, पर आधारित प्रतीत होती हैं। यह संकलन एक स्रोत बन गया था, जिससे मध्य युग के उत्तरार्द्ध में गद्य और पद्य में लैटिन दंतकथाओं के सभी संकलनों की पूर्णतः या अंशतः व्युत्पत्ति हुई थी। संभवतः 12वीं शताब्दी के आसपास रचित, रोमुलस की शोककाव्य में पहली तीन पुस्तकों का एक संस्करण, मध्यकालीन यूरोप में सर्वाधिक उच्च प्रभावशाली ग्रंथों में से एक था। इन्हें विभिन्न (अन्य शीर्षकों के साथ) नामों रोमुलस काव्य या रोमुलस शोककाव्य से संदर्भित किया गया, यह लैटिन के लिए एक आम शिक्षण पाठ था और पुनर्जागरण तक यह व्यापक रूप से लोकप्रिय रहा था। लैटिन शोककाव्य में रोमुलस का एक अन्य संस्करण, 1157 में सेंट अल्बान्स में जन्मे, एलेक्जेंडर नेकम द्वारा तैयार किया गया था।
रोमुसल के शोककाव्य के व्याख्यात्मक “अनुवाद” मध्य युगीन यूरोप में बहुत आम थे। सबसे पुरानों में से एक 11वीं शताब्दी में चबानीस के एडेमार का था जिमें कुछ नई सामग्री है। इसके बाद लगभग 1200 के आसपास सिस्टर्सियन भिक्षु चेरिटन के ओडो द्वारा नीति कथाओं का गद्य संकलन आया जिसमें दंतकथाओं को (जिनमें से कई ईसपीय नहीं हैं) एक मजबूत मध्यकालीन और पुरोहिती रंग दिया गया है। इस व्याख्यात्मक प्रवृत्ति तथा अभी और अधिक गैर-ईसपीय सामग्री का समावेश तो बढ़ना ही था क्योंकि आने वाली शताब्दियों में विभिन्न यूरोपीय भाषाओं में संस्करण प्रकाशित होने लगे थे।
पुनर्जागरण के दौरान साहित्यिक लैटिन के पुनरुत्थान के साथ, लेखकों ने ईसप की पारंपरिक तथा अन्य वैकल्पिक स्रोतों से साथ-साथ सामने आई दंतकथाओं के संग्रह संकलित करना आरंभ कर दिया। इनमें से सबसे पुराना लोरेंजो बेविलाक्वा, जिसे लॉरेंशियस एब्सटेमियस के नाम से भी जाना जाता है, ने 197 दंतकथाएं लिखी थीं[7] जिनमें से पहली एक सौ हिकेटोमीथियम के रूप में 1499 में प्रकाशित हुई थीं। ईसप की तो बहुत कम शामिल की गई हैं। अधिक से अधिक, कुछ पारंपरिक दंतकथाओं को अपनाया गया है और पुनर्व्याख्या की गई हैः शेर और चूहा को जारी रखा गया है और एक नया अंत दिया गया है (दंतकथा 52) जबकि बलूत और सरकंडा बन गई है “एल्म और विलो” (53). मध्यकालीन कथाएं भी हैं जैसे परिषद में चूहे (195) तथा लोकप्रिय कहावतों का समर्थन करने के लिए सृजित कहानियां जैसे पानी अभी भी गहरा बहता है (5) और एक स्त्री, एक गधा और एक अखरोट का पेड़ (65). अधिकतर बाद में रॉजर ल’एस्ट्रेंज की ईसप तथा अन्य प्रमुख पौराणिक कथाकारों की दंतकथाएं (1692) के द्वित्तीय अर्द्ध में शामिल की गई थीं;[8] कुछ एच. क्लार्क की ईसप की चुनी हुई दंतकथाएं: अंग्रेजी अनुवाद के साथ (1787) की 102 में भी प्रकट हुई, जिनके अंग्रेजी और अमरीकी दोनों संस्करण थे।[9]
बाद में पद्य में दंतकथाओं के तीन उल्लेखनीय संकलन और थे, जिनमें से सर्वाधिक प्रभावशाली गैब्रिअली फीर्नो की सेन्टम दंतकथाएं (1564) थी। एक सौ में से अधिकांश दंतकथाएं ईसप की हैं लेकिन हास्यप्रद कथाएं भी हैं जैसे डूबी हुई महिला और उसका पति (41) तथा मिल मालिक, उसका पुत्र और गधा (100). जिस वर्ष इटली में फीर्नो प्रकाशित हुई थी, उसी वर्ष हीरोनिमस ओसियस ने एक Fabulae Aesopi carmine elegiaco redditae शीर्षक से जर्मनी में 294 दंतकथाओं का संकलन निकाला था।[10] इसमें भी कुछ कहीं और से ली गई थीं जैसे नांद में कुत्ता (67). तब 1604 में ऑस्ट्रियाई पैंटोलियों वेस, जिन्हें पैंटेलियों कैंडीडस के नाम से जाना जाता है, ने एक सौ पचास दंतकथाएं (Centum et Quinquaginta Fabulae) प्रकाशित की थी।[11] 152 कविताओं को विषय अनुसार समूहीकृत किया गया था, कहीं-कहीं एक ही दंतकथा के लिए एक से अधिक कविताएं भी समर्पित थीं, यद्यपि उसका वैकल्पिक संस्करण प्रस्तुत करते हुए, जैसे बाज और बुलबुल (133-5). इसमें शेर, भालू और लोमड़ी (60) के सर्वाधिक पुराने यूरोपीय उदाहरण भी शामिल थे।
अन्य भाषाओं में ईसप की दंतकथाएं
एसोपेट, कुछ दंतकथाओं का पुराने फ्रांसीसी अष्टपदी दोहों में रूपांतरण था, जिसे 12वीं शताब्दी में मेरी डि फ्रांस ने लिखा था।[12] जिन शिक्षाओं के साथ वे प्रत्येक दंतकथा को समाप्त करती हैं, वे उनके् समय की सामंती व्यवस्था को दर्शाती हैं।
13 वीं सदी में यहूदी लेखक बेरेक्याह हा नेकडेन ने हिब्रू तुकांत गद्य में 103 ‘लोमड़ी दंतकथाओं’ का एक संकलन मिशले शुआलिम (Mishlei Shualim) लिखा था। इसमें ईसप के नाम से प्रचलित जानवरों की अनेक कथाएं शामिल थीं, इसके साथ ही कई मेरी डि फ्रांस तथा अन्य से ली गई थीं। उन्हें यहूदी नैतिकता सिखाने के एक माध्यम में रूपांतरित करने के लिए बेरेक्याह के लेखन में बाइबल के उद्धरणों और कथाओं के हवालों की एक परत जोड़ी गई है। पहला छपा हुआ संस्करण 1557 में मांटुआ में सामने आया; मूसा हदस द्वारा अंग्रेजी अनुवाद एक यहूदी ईसप की दंतकथाएं शीर्षक से सबसे पहले 1967 में प्रकाशित हुआ था।[13]
ईसप, 125 रोमुलस दंतकथाओं का मध्यकालीन जर्मन पद्य में रूपांतरण है, जिसे गरहार्ड वॉन मिन्डेन द्वारा 1370 के आस पास लिखा गया था।[14]
ओडो की किंवदंतियां (Chwedlau Odo) (“ओडो की कथाएं”) चेरिटन के ओडो की जानवरों की दंतकथाओं पैराबोलाय का 14वीं शताब्दी का एक वेल्श संस्करण है। इनमें से कई, प्रायः उच्चपदस्थ चर्च के अधिकारियों की तीखी आलोचनाओं के साथ गरीबों और दलितों के प्रति सहानुभूति दिखाती हैं।[15]
ईसप की दंतकथाएं (Isopes Fabules) 15वीं शताब्दी के आरंभ में भिक्षु जॉन लिंडगेट द्वारा मध्य अंग्रेजी कविता के शाही पद में लिखी गई थी।[16] सात कथाएं शामिल की गई हैं और उनसे सीखी जाने वाली नैतिक सीखों पर भारी जोर दिया गया है।
फ्रीजियन ईसप की नैतिक दंतकथाएं रॉबर्ट हेनरीसन द्वारा मध्य स्कॉट यांब पंचपदी में लिखी गई थी (1430-1500 ई.).[17] इसके स्वीकृत पाठ में दंतकथाओं के तेरह संस्करण शामिल हैं, सात लैटिन रोमुलस पांडुलिपियों से विस्तारित “ईसप” से कहानियों पर आधारित हैं। शेष छः में से पांच में यूरोपीय चालबाज लोमड़ी का पात्र है।
कॉक्सटन के संस्करण से चित्र
ईसप की मानी जाने वाली दंतकथाओं के विशाल संग्रहों के अनुवाद तथा यूरोपीय भाषाओं में अनुवाद के पीछे प्रेरणा जर्मनी में एक प्रारंभिक मुद्रित प्रकाशन से मिली। मध्य युग के दौरान विभिन्न भाषाओं में छोटे-छोटे कई चयन होते रहे थे किंतु एक व्यापक संस्करण का पहला प्रयास हेनरिक स्टेनहॉवेल ने 1476 ई. में प्रकाशित अपने ईसोपस में किया था। इस में लैटिन संस्करण और जर्मन अनुवाद दोनों शामिल थे तथा ईसप के जीवन के रिनूचिआ दा कैस्टीलिओना (Rinuccio da Castiglione) (या द’रेजो) के संस्करण का यूनानी से अनुवाद भी शामिल था।[18] रोमुलस, एविएनस तथा अन्य स्रोतों से कोई 156 दंतकथाएं दिखाई देती हैं, जिनके साथ व्याख्यायुक्त प्रस्तावना और उपदेशात्मक निष्कर्ष शामिल हैं।[19] इसके बाद स्टेनहॉवेल की पुस्तक पर आधारित अनुवाद या संस्करण शीघ्र ही इटली (1479), फ्रांस (1480) और इंग्लैंड (1484 का कैक्सटन संस्करण) में प्रकाशित हुए तथा शताब्दी के अंत से पहले कई-कई बार पुनर्मुद्रित हुए. 1489 का स्पेनिश संस्करण ईसप का जीवन उनकी अद्भुत कहानी के साथ (La vida del Ysopet con sus fabulas hystoriadas) भी समान रूप से सफल था और प्रायः तीन शताब्दियों तक पुरानी और नई दुनिया दोनों में पुनर्मुद्रित हुआ था।[20]
16वीं शताब्दी के अंत में पुर्तगाली मिशनरियों ने जापान पहुंचने पर जापान का दंतकथाओं से परिचय कराया जब एक लैटिन संस्करण को रोमनीकृत जापानी में अनूदित किया गया था। इसका शीर्षक ईसोपो नो फेबुलास (Esopo no Fabulas) था तथा समय था 1593 का. इसके बाद जल्दी ही 1596 और 1624 के बीच किसी समय एक संपूर्ण अनुवाद, Isoppu Monogatari (伊曾保物語?) शीर्षक वाले तीन खंडीय कानाजोशी का प्रकाशन हुआ था।[21]
ईसप की दंतकथाओं का चीनी में पहला अनुवाद 17वीं शताब्दी के आरंभ में हुआ था, पहला अच्छी मात्रा में संग्रह 38 का था जिसे निकोलस ट्रिगॉल्ट नामक एक जेसुइट मिशनरी ने मौखिक रूप से बताया था और उसे झांग गेंग (चीनी: 張賡; पिनयिनः झांग गेंग) नामक एक चीनी शिक्षक द्वारा 1625 में लिखा गया था। इसके दो शताब्दी बाद, ईसप की दंतकथाएं: चीनी में विद्वान मुन मूय सीन-शांग द्वारा लिखी गई तथा वर्तमान रूप में (मुक्त एवं शाब्दिक अनुवाद सहित) संकलित, जाहिरा तौर पर रॉजर ल’एस्ट्रेंज के संस्करणों पर आधारित संस्करणों सहित लगभग 1840 में प्रकाशित हुईं. शुरू में यह कार्य काफी लोकप्रिय हुआ था, जब तक किसी को यह एहसास नहीं हुआ कि दंतकथाएं अधिकारवाद-विरोधी थीं और कुछ समय के लिए यह पुस्तक प्रतिबंधित कर दी गई थी।[22] झोऊ जुओरेन तथा अन्य के 20वीं शताब्दी के अनुवाद भी रहे हैं।[23]
ज्यां द ला फोंटीन (Jean de la Fontaine) की फ्रांसीसी में चुनी हुई दंतकथाएं (Fables Choisies) ईसप की दंतकथाओं की संक्षिप्तता और सादगी से प्रेरित थी।[24] हालांकि पहली छह पुस्तकें पूर्णतः पारंपरिक ईसपीय सामग्री पर निर्भर हैं, किंतु अगली छह में दंतकथाएं अधिक विस्तृत और विविध मूल की हैं।[25]
19वीं शताब्दी के आरंभ में कुछ दंतकथाओं को कथाकार इवान क्रिलोव द्वारा रूसी में रूपांतरित किया गया था और प्रायः पुनर्व्याख्या की गई थी।[26]
क्षेत्रीय भाषाओं में संस्करण
18वीं से 19वीं शताब्दी में सभी यूरोपीय भाषाओं में बड़ी मात्रा में पद्य में दंतकथाएं लिखी जाती देखी गईं। रोमांस क्षेत्र में क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों ने ला फोंटेन और उतने ही लोकप्रिय ज्यां-पियरे क्लेरिस द फ्लोरियां से रूपांतरित संस्करणों का उपयोग किया। सबसे पुराना प्रकाशन एक गुमनाम फेबल्स कॉसाइड्स एन बेर्स गैसकाउन्स (Fables Causides en Bers Gascouns) (गैसकॉन भाषा में चयनित दंतकथाएं, बेयॉन, 1776) था जिसमें 106 दंतकथाएं थीं।[27] इसके बाद 1809 में जे. फोको की ऑक्सीटन लिमोजीन बोली में क्वेक्स फेबल्स चोइसीज द ला फोंटेन एन पेटोइस लिमोजीन आई थी।[28]
पियेरा डिजाए द गेजबइयों (Pierre Désiré de Goësbriand) (1784-1853) ने 1836 में तथा ईव लुईस मारी कोदो (Yves Louis Marie Combeau) (1799-1870) ने 1836-38 के बीच ब्रेटन में संस्करण लिखे थे। सदी के मध्य के बाद जेबी: बास्क में दो अनुवाद आएः 50 J-B. आर्कू की चोई द फेबल्स द ला फोंटेन, त्रोदोएक्स एन वर्स बास्क्स (Choix de Fables de La Fontaine, traduites en vers basques) (1848) में और 150 फादर मार्टिन गोयेट (Abbé Martin Goyhetche) की फेब्लिआक एदो एलेगियाक लाफोंतेनतारिक बेरोशिज आर्क्युएक (Fableac edo aleguiac Lafontenetaric berechiz hartuac) (बेयोन, 1852).[29] प्रोवांकल की बारी एंतोनी बीगो (1825–97) के ली बोतोआं द गेतों, पोइजी पैथोआस (Li Boutoun de guèto, poésies patoises) के साथ आई थी, इसके बाद 1881-91 के बीच नीमा बोली में दंतकथाओं के कई संग्रह आए। [30] फ्रांस-प्रशिया युद्ध के बाद क्षेत्र के सत्तांतरण के पश्चात 1879 में ला फोंतेन के एलसेशियन (जर्मन) संस्करण प्रकट हुए. अगली शताब्दी के अंत में, भाई डेनिस-यूसुफ सिबलर (1920-2002) भाइयों ने इस बोली में रूपातरणों का एक संग्रह प्रकाशित किया जो 1995 से कई बार मुद्रित हो चुका है।
पश्चिमी फ्रांस की कई बोलियों (पोतां-सतोजे (Poitevin-Saintongeais)) में ला फोंतेन के कई रूपांतरण थे। इनमें सबसे पहला था वकील एवं भाषाविद जीन हेनरी बर्गो द मैरेट्स (1806-73) का सेंटोज्या बोली में दंतकथाओं और कहानियों का संग्रह (Recueil de fables et contes en patois saintongeais) (1849)[31]. लगभग उसी समय लिखने वाले अन्य रूपांतरकारों में पियरे जाक लूजो (Pierre-Jacques Luzeau) (जन्म 1808), एडवर्ड लकुवे (1828-99) तथा मार्क माचेडियर (1830-1898 शामिल हैं। 20 वीं सदी में, मार्सेल रोल्ट (जिनका उपनाम डायोक्रेट है), यूजीन चैरियर, फादर आर्सीन गार्नियर, मार्सेल डूलार्ड[32] और पियरे ब्रिसार्ड हुए थे।[33] आगे उत्तर की ओर, पत्रकार और इतिहासकार जेरी हर्बर्ट (1926-1985) ने कुछ दंतकथाओं को पिकार्ड की बोली कैम्ब्राई जिसे स्थानीय रूप से श्खू नाम से जाना जाता है, रूपांतरित किया था।[34] इस बोली में और हाल के दंतकथाओं के अनुवादकों में जो टैंगे (2005) और विलियम लूवनकोर्ट (2009) शामिल हैं।
19वीं शताब्दी में वॉलून बोली में साहित्य के पुनर्जागरण के दौरान, अनेक लेखकों ने दंतकथाओं के संस्करणों को जागीरदारों की मसालेदार भाषा (और विषयवस्तु) में रूपांतरित किया था।[35] उनमें शामिल थे चार्ल्स डूवीवीर (1842 में); जोसेफ लमये (1845) और 1851-67 टीम के ज्यां-जोसेफ डेहिन (1847, 1851-2) और फ़्राँस्वा बेलो (1851-67), जिन्होंने मिलकर पुस्तकें I-VI कवर की थी।[36] चार्ल्स लेटेलिअर (मॉन्स, 1842) तथा चार्ल्स वेरोट (नैमूर, 1844) ने अन्य बोलियों में रूपांतरण किए थे, बहुत बाद में, लियॉन बर्नस ने चार्लेरोइ की बोली में ला फोंतेन की कोई एक सौ नकल प्रकाशित की थीं (1872),[37] उसका अनुसरण किया जोसेफ डरेन ने जिसने 1880 के दशक में बोरीनेज बोली में बोसकेत्या उपनाम से लिखा था। रूपांतरणों की चल रही लहर में सर्वाधिक सफल का ही उल्लेख करते हुए 20वीं शताब्दी में जोसेफ हाउस (1946)[38] का कोन्द्रोज बोली में पचास दंतकथाओं का संग्रह आया था। फ्रांस और बेल्जियम दोनों ही में इन सभी गतिविधि के पीछे मकसद बढ़ती केन्द्रीयता और राजधानी, जो तब तक मुख्यतः एकभाषी क्षेत्र रहा था, की भाषा पर अतिक्रमण के खिलाफ क्षेत्रीय विशिष्टता पर जोर देना था।
क्रियोल
लेस बम्बोउस के फ्रांसीसी संस्करण के कवर
कैरेबियन क्रियोलों ने भी 19वीं शताब्दी के मध्य से इस तरह के रूपांतरों के विकास को शुरू में उपनिवेशवादी परियोजना के हिस्से के रूप में लेकिन बाद में अपनी बोली के लिए प्यार और गर्व के रूप में देखा. फ़्राँस्वा अचिलो मोबाट (1817-66) ने ला फोंतेन की दंतकथाओं का मार्टीनिक की बोली में रूपांतरण ले बैंबस में फेबल्स द ला फोंतेन ट्रेवस्टीज एन पेटोइस (Fables de la Fontaine travesties en patois) (1846) किया था।[39] पड़ोसी ग्वाडेलोप में पॉल बूदो (1801-70) द्वारा 1850-60 के बीच मूल दंतकथाएं लिखी जा रही थी किंतु उसके मरणोपरांत तक इन्हें एकत्र नहीं किया गया था। तुकांतवाली दंतकथाओं के कुछ उदाहरण 1869 में त्रिनिदाद की प्रांसीसी क्रियोल की व्याकरण में नजर आए थे जिनहें जॉन जैकब थॉमस (1840-89) ने लिखा था और ये 1869 में प्रकाशित हुई थी। नई शताब्दी की शुरुआत ने देखा जॉर्ज सील्वेन का प्रकाशन क्रिक! क्रैक! फेबल्स द ला फोंतेन रेकोंतीस पार अन मोंतेगार्द हैतिएन एट ट्रांसक्राइट एन वर्स क्रिओल्स (एक हैती पर्वतारोही द्वारा कही गई ला फोंतेन की दंतकथाएं क्रियोल पद्य में लिखा गई, 1901).[40]
दक्षिण अमेरिकी मुख्य भूमि पर, अल्फ्रेड द सेंट क्वेंटिन ने 1872 में ला फोंतेन से मुक्त रूप से दंतकथाओं के एक संग्रह को गायनीज क्रियोल में रूपांतरित कर प्रकाशित किया था। यह कविताओं और कहानियों के संग्रह में से (आमने-सामने अनुवाद सहित) एक पुस्तक थी जिसमें क्षेत्र का इतिहास और क्रियोल व्याकरण पर एक लेख भी शामिल था।[41] कैरेबियन के दूसरी ओर, जूल्स चोपिन (1830-1914) 19वीं शताब्दी के अंत में लुइसियाना गुलाम क्रियोल में ला फोंतेन का रूपांतर कर रहा था। इन संस्करणों में से तीन पद्य संकलन क्रियोल ईथोजः 19वीं शताब्दी का फ्रैंकोफोन काव्य लुशियाना (इलिनॉयस विश्वविद्यालय, 2004) में नॉर्मन शपिरो के द्वारा बोली अनुवाद सहित प्रकट हुआ था।[42] चोपिन की सभी कविताएं सेंटेनरी कॉलेज, लुसियाना द्वारा प्रकाशित की गई हैं (फेबल्स एट रेवेरीज, 2004).[43]
हिंद महासागर में द्वीपों में फ्रेंच क्रियोल में संस्करण कैरिबियन की तुलना में कुछ पहले बनने शुरू हो गए थे। लुई हैरी (1801-1856) ने 1820 में ब्रिटेनी से रियूनियन में आप्रवास किया था। एक स्कूल अध्यापक बन जाने के बाद इसने ला फोंतेन की दंतकथाओं का स्थानीय बोली में Fables créoles dédiées aux dames de l’île Bourbon (द्वीप की महिलाओं के लिए क्रियोब दंतकथाएं) में रूपांतरण किया था। यह 1829 में प्रकाशित किया गया था और इसके तीन संस्करण निकालने पड़े थे।[44] इसके अलावा ला फॉनटेन की 49 दंतकथाएं 1900 के आसपास रोडोलफाइन यंग (1860-1932) द्वारा सेशेल्स बोली में रूपांतरित की गई थी किंतु वे 1983 तक प्रकाशित नहीं हो सकीं। [45] जीन लुइस रॉबर्ट की हाल ही में बेब्रियस का रियूनियन क्रियोल में अनुवाद (2007)[46] इस प्रकार के रूपांतरों में एक और मकसद जोड़ता है। दंतकथाएं गुलाम संस्कृति की अभिव्यक्ति के रूप में शुरू हुईं और उनकी पृष्ठभूमि कृषि जीवन की सादगी में है। क्रियोल गुलाम इस अनुभव को मालिक की शिष्ट भाषा की अपेक्षा अधिक शुद्धता के साथ स्थानांतरित करता है।
अशिष्ट भाषा (स्लैंग)
दंतकथाएं मौखिक परंपरा से अनिवार्य रूप से संबंधित है, वे याद रखी गईं और फिर अपने शब्दों में पुनः पुनः सुनाई जाकर अस्तित्व में बनी रहीं। जब वे लिखी जाती हैं विशेष रूप से शिक्षा के माध्यम की प्रमुख भाषा में, वे अपने मूल तत्व में से कुछ खो देती हैं। इसलिए उन्हें सुधारने की रणनाति यह है कि लिखित और बोला जाने वाली भाषा के बीच के अंतर को काम में लिया जाए. अंग्रेजी में ऐसा जिन लोगों ने किया है उन में से एक थे सर रॉजर ल’स्ट्रेंज, जिन्होंने दंतकथाओं का चटपटी शहरी अशिष्ट भाषा में अनुवाद किया और आगे लॉरेंशियस एब्सटेमियस की की क्रांतिकारी लैटिन दंतकथाओं को अपने संकलन में शामिल करके उनका उद्देश्य रेखांकित किया।[47] फ्रांस में दंतकथाओं की परंपरापहले ही 17वीं शताब्दी में ला फोंतेन द्वारा ईसप और अन्य की प्रभावशाली पुनर्व्याख्याओं से नवीकृत हो चुकी थी। आने वाली शताब्दियों में क्षेत्रीय भाषाओं, जो केंद्र में इन लोगों के लिए अशिष्ट भाषा से कुछ बेहतर थी, के माध्यम से और आगे पुनर्व्याख्याएं की गईं। अंततः, तथापि, शहरों की जनता की जीभ खुद इसकी एक साहित्यिक माध्यम के रूप में सराहना करने लगी।
शहरी कठबोली में अनुवाद का एक सबसे पुराना उदाहरण था 1929 में Les Fables de Gibbs (गिब्स की दंतकथाएं) शीर्षक से एक ही कागज की मुड़ी हुई शीट पर एक विशिष्ट दंतकथा। इस अवधि के दौरान अन्य लेखकों ने अंततः Fables de La Fontaine en argot (कठबोली में ला फोंतेन की दंतकथाएं) (Etoile sur Rhône 1989) लिखा. इस के बाद द्वितीय विश्व युद्ध के बाद लोकप्रियता में इस शैली का विकास हुआ। 1945 के आस पास बर्नार्ड गेल्वल के दंत कथाओं के दो छोटे संग्रहों के पीछे-पीछे 15-15 दंतकथाओं के दो संकलन ‘मार्कस’ (पेरिस 1947, 1958 और 2006 में पुनर्मुद्रित), एपी कॉन्ड्रेट की कठबोली में दंतकथाओं की शृंखला (Recueil des fables en argot) (पेरिस, 1951) तथा जियो सैंड्री (1897-1975) और जीन कोल्ब की कठबोली में दंतकथाएं (Fables en argot) (पेरिस, 1950/60) प्रकाशित हुए. ऐसे अधिकतर मुद्रण निजी तौर पर बनाई गई पुस्तिकाएं और पर्चे थे, जो मनोरंजनकर्ताओं द्वारा अपने प्रदर्शन के समय अक्सर बेचे जाते थे, इनकी तिथि तय कर पाना मुश्किल है।[48] इन कविताओं में से कुछ तो उल्लेखनीय प्रदर्शनकर्ताओं की निर्देशिका में प्रवेश पा गई, जैसे बॉबी फॉरेस्ट तथा ईव्स डिनाइ़ड जिनको दर्ज कर लिया गया।[49] फ्रांस के दक्षिण में, जार्ज गौदों युद्ध के बाद की अवधि में दंतकथाओं की तह की हुई कई शीट प्रकाशित की थीं। एकालाप के रूप में वर्णित इन में खिचड़ी भाषा ल्यों तथा भूमध्य की सामान्य भाषा साबिर प्रयोग की गई थी।[50] फ्रांस के कई भागों में अन्यों द्वारा कठबोली संस्करणों का लिखित या रिकॉर्डेड रूप में बनना आज भी जारी है।
बच्चों के लिए ईसप
वॉल्टर क्रेन का शीर्षक पृष्ठ, 1887
अंग्रेजी में ईसप की दंतकथाओं का पहला छपा हुआ संस्करण 26 मार्च,1484 को विलियम कैक्सटन द्वारा प्रकाशित किया गया था। इसके बाद शताब्दियों में गद्य और पद्य में कई अन्य लोगों, ने अनुसरण किया। 20वीं शताब्दी में बेन ई. पेरी ने 1952 में लोब क्लासिकल लाइब्रेरी के लिए बेब्रियस और फीड्रस की ईसपीय दंतकथाओं को संपादित किया और टाइप से क्रमांकित सूची संकलित की। [51] ओलिविया और रॉबर्ट टेम्पल के पेंगुइन संस्करण का शीर्षक है ईसप की संपूर्ण दंतकथाएं (1998) किंतु वास्तव में बेब्रियस, फीड्रस तथा अन्य प्रमुख प्राचीन स्रोतों से कई कथाओं को छोड़ दिया गया है। अधिक हाल ही में, 2002 में ईसप की दंतकथाएं शीर्षक वाले लौरा गिब्स के एक अनुवाद को ऑक्सफोर्ड वर्ल्ड्स क्लासिक्स द्वारा प्रकाशित किया गया था। इस पुस्तक में 359 शामिल हैं और सभी प्रमुख यूनानी और लैटिन स्रोतों से चयन किया गया है।
18वीं शताब्दी तक दंतकथाएं बड़े पैमाने पर शिक्षकों, प्रचारकों, भाषण निर्माताओं और नीतिशास्त्र उपदेशकों द्वारा वयस्कों को उपयोग के लिए दी जाती थीं। ये दार्शनिक जॉन लोके थे जिन्होंने, लगता है सबसे पहले शिक्षा के संबंध में कुछ विचार (1693) में बच्चों को विशेष दर्शक के रूप में लक्षित करने की वकालत की थी। उनकी राय में ईसप की दंतकथाएं हैं
एक बच्चे को प्रसन्न करने तथा उसका मनोरंजन करने के लिए उपयुक्त हैं। . . फिर भी एक वयस्क को एक उपयोगी प्रतिबिंब प्रदान करती हैं। और अगर उसकी याददाश्त अपनी सारी जिंदगी उन्हें याद रख ले, तो अपने मर्दाना विचारों और गंभीर व्यवसाय के बीच उनको पाकर उसे कभी भी पछतावा नहीं होगा. अगर उसकी ईसप में चित्र हैं, यह बहुत अच्छा मनोरंजन करेगी और जब वह इसके साथ ज्ञान भी बढ़ाएगी तो उसे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेगी. क्योंकि ऐसी दृश्य वस्तुओं को बच्चों के लिए सुनने में व्यर्थ की बात है और बिना किसी भी संतोष के, जबकि वे उनके बारे में कुछ नहीं जानते, वे विचार उन ध्वनियों से नहीं आते हैं, लेकिन खुद उन वस्तुओं से या उनके चित्रों से आते हैं।[52]
युवा लोग दंतकथाओं के लिए विशेष लक्ष्य हैं, यह विचार खास तौर पर कोई नया नहीं था और इन दर्शकों के लिए अनेक शानदार योजनाएं यूरोप में पहले से ही व्यवहार में लाई जा चुका थी। 17वीं शताब्दी में पोप पायस IV द्वारा गैब्रियल फीर्नो की सौ दंतकथाएं (Centum Fabulae of Gabriele Faerno) को अधिकृत किया गया था ‘ताकि उसी समय और उसी पुस्तक से नैतिक और भाषाई शुद्धता बच्चे भी सीख सकें’. 1670 के दशक में जब फ्रांस के राजा लुई XIV अपने छः वर्षीय पुत्र को पढ़ाना चाहते थे, तो उन्होंने वरसाई की भूलभुलैया में चुनी हुई 38 दंतकथाओं का प्रतिनिधित्व करती हुई जलचालित मूर्तियों की एक शृंखला स्थापित की थी। इस के लिए उन्हें चार्ल्स पेरो द्वारा सलाह दी गई थी, जिसने बाद में जाकर फीर्नो की व्यापक रूप से प्रकाशित लैटिन कविताओं का फ्रांसीसी पद्य में अनुवाद किया था ताकि वे व्यापक दर्शकों तक लाई जा सकें.[53] तब 1730 के दशक में नई आध्यात्मिक कविता और नैतिकता सबसे खूबसूरत धुनों पर (Nouvelles Poésies Spirituelles et Morales sur les plus beaux airs) आठ खंडों में सामने आई जिसके पहले छह में विशेष रूप से बच्चों को लक्षित करके दंतकथाओं का एक अनुभाग रखा गया था। इस में ला फॉनटेन की दंतकथाओं को उस समय की हवा के अनुसार फिर से लिखा गया था और सामान्य प्रदर्शन के लिए व्यवस्थित किया गया था। इस कार्य की प्रस्तावना में टिप्पणी की गई है कि ‘उनकी उम्र के अनुकूल उनके लिए उपयोगी पाठों को आकर्षक बनाकर देने में हम अपने आप को प्रसन्न इनुभव करते हैं, हमने उनको उन अपवित्र गीतों के लिए नफरत दी है जिन्हें वे गाते थे और जो केवल उनकी मासूमियत को भ्रष्ट करने का काम करते थे।'[54] यह कार्य लोकप्रिय रहा था और अगली शताब्दी में उसे पुनर्मुद्रित किया गया था।
ब्रिटेन में 18वीं शताब्दी में विभिन्न लेखकों ने कहानी की एक संक्षिप्त रूपरेखा देते हुए और आमतौर पर उसके नैतिक और व्यावहारिक अर्थ पर एक लंबी टिप्पणी दे कर इस नए बाजार का विकास शुरू किया था। इस तरह के कार्यों में से पहला है रेवरेंड सैमुएल क्रोक्साल की ईसप तथा अन्य की दंतकथाएं, प्रत्येक दंतकथा के लिए एक अनुप्रयोग के साथ, अंग्रेजी में नए सिरे से लिखी गई . एलिशा किर्काल द्वारा प्रत्येक दंतकथा के लिए नक्काशी के साथ यह पहली बार 1772 में प्रकाशित हुई थी, 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध तक यह लगातार पुनर्मुद्रित होती रही। [55] एक अन्य लोकप्रिय संग्रह था जॉन न्यूबेरी का युवाओं और वृद्धों में सुधार के लिए पद्य में दंतकथाएं जिसका श्रेय परिहासपूर्वक अब्राहम ईसप एस्क्वायर को जाता है, जिसे 1757 में प्रथम संस्करण के प्रकाशन के बाद दस संस्करण और देखने थे।[56] रॉबर्ट डॉड्सले की तीन खंडों में ईसप तथा अन्य कथाकारों की चयनित दंतकथाएं प्रतिष्ठित होने के कई कारण हैं।. पहला यह कि यह 1761 में बर्मिंघम में जॉन बास्करबिले द्वारा मुद्रित की गई थी, दूसरा यह कि पात्रों जानवरों के बोलने के कारण यह बच्चों द्वारा पसंद की गई, शेर शाही अंदाज में और उल्लू वाक्यांश की धूमधाम के साथ बात करता था;[57] तीसरा क्योंकि इसमें दंतकथाओं के तीन भाग थे प्राचीन स्रोतों से दंतकथाएं, अधिक हाल की (जिसमें जीन द ला फोंतेन से अधार ली गई शामिल हैं) तथा उसकी खुद की ईजाद की गई नई कहानियां.
थॉमस बेविक के टाइन पर न्यूकासल से संस्करणों के भी समान रूप से प्रतिष्ठित होने का कारण उनके द्वारा प्रयुक्त लकड़ी के सांचों की गुणवत्ता थी। उनके नाम से प्रकाशित होने वाली पहली पुस्तक 1784 में प्रकाशित तीन भागों में चुनी हुई दंतकथाएं थी।[58] इसके बाद 1818 में ईसप तथा अन्य की दंतकथाएं आई थी। यह कार्य तीन वर्गों में विभाजित है: पहले में डोड्सले की कुछ दंतकथाएं हैं जिनकी प्रस्तावना में गद्य में शिक्षा है; दूसरे में ‘प्रतिबिंबों के साथ दंतकथाएं’ हैं जिसमें प्रत्येक कहानी के बाद एक गद्य तथा एक पद्य में शिक्षा और उसके बाद एक लंबा गद्य प्रतिबिंब; तीसरे ‘पद्य में दंतकथाएं’ में कई अनाम लेखकों की कविताओं में अन्य स्रोतों से दंतकथाएं हैं, इनमें कविता में ही शिक्षा शामिल की गई है।[59]
19वीं शताब्दी के आरंभ में लेखकों ने विशेष रूप से बच्चों के लिए कविताए लिखना शुरू किया था और उनके परिणाम में दंतकथाएं शामिल थीं। सर्वाधिक लोकप्रिय में से एक था बकवास कविता का लेखक, रिचर्ड स्क्रैफ्टन शार्प (मृत्यु 1852), नई पोशाक में पुराने मित्रः पद्य में परिचित दंतकथाएं पहली बार 1807 में आई और उसके बाद लगातार संवर्धित संस्करणों में 1837 तक चली.[60] जेफरी टेलर की कविता में ईसप, कुछ मूल के साथ पहली बार 1820 में प्रकाशित हुई, उतनी ही लोकप्रिय थी और इसके भी कई संस्करण निकले थे। संस्करण जीवंत हैं लेकिन टेलर कथानक के साथ के साथ काफी स्वतंत्रता लेता है। दोनों लेखक 18वीं शताब्दी के संग्रहों की अत्यधिक गंभीर प्रकृति के प्रति सजग थे और इस का उपाय करने की कोशिश की थी। विशेष रूप से शार्प ने उनके द्वारा प्रस्तुत दुविधा की चर्चा की और इसी समय में क्रोक्साल के कहानी संग्रह के प्रारूप की ओर झुकते हुए एक उपाय की भी सिफारिश कीः
विषय से शिक्षा को विभाजित करने की दंतकथाएं छापने की यह पारंपरिक विधि रही है; और बच्चे जिनके मस्तिष्क एक रोचक कहानी से मनोरंजन के प्रति सजग होते हैं, अधिकतर एक दंतकथा से दूसरी की तरफ बढ़ जाते हैं, बजाय ‘निवेदन’ शीर्षक के अंतर्गत आने वाले कम रोचक पंक्तियों को पढ़ने के. यह इस दृढ़ विश्वास के साथ है कि वर्तमान चयन के लेखक ने विषय के साथ नैतिक शिक्षा को मिला कर बुना है, कि उससे मिलने वाले लाभ के बिना कहानी को प्राप्त नहीं किया जा सकता और कि मनोरंजन और शिक्षा दोनों साथ-साथ चल सकते हैं।[61]
ब्राउनहिलिस एल्फाबेट प्लेट, एसोप के दंतकथाओं के श्रृंखला, एक लोमड़ी और अंगूर सी 1880
शार्प भी लिमरिक का प्रवर्तक था, लेकिन उसके ईसप के संस्करण लोकप्रिय गीत उपायों के रूप में हैं और यह 1887 तक नहीं हो पाया था कि लिमरिक स्वरूप को अच्छे ढंग से दंतकथाओं में लागू किया जाता. ऐसा एक शानदार हस्त निर्मित कला और शिल्प आंदोलन संस्करण में हुआ, बच्चे का अपना ईसपः वॉल्टर क्रेन द्वारा अलग से चित्रों के रूप में नैतिक शिक्षाके साथ दंतकथाएं कविता के रूप में संक्षिप्त की हुई .[62]
बाद के कुछ गद्य संस्करण भी अपने चित्रों के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय थे। इनमें से एक था थॉमस जेम्स द्वारा ईसप की दंतकथाएं: एक नया संस्करण, मुख्यतः मूल स्रोतों से (1848) जॉन टेनियल द्वारा डिजाइन किए गए एक सौ से अधिक चित्रों के साथ.[63] टेनिअल खुद अपने काम से अधिक संतुष्ट नहीं थे और मौका मिलने पर कुछ चित्रों को हटा कर एक संशोधित संस्करण 1884 में निकाला, जिसमें अर्नेस्ट हेनरी ग्रिसेट तथआ हैरिसन वेयर के चित्र भी शामिल थे।[64] एक बार रंगीन प्रतिकृतियां के लिए प्रौद्योगिकी आ जाने के बाद, चित्र और अधिक आकर्षक बन गए। आरंभिक 20वीं शताब्दी के उल्लेखनीय संस्करणों में आर्थर रैखम (लंदन, 1912) के चित्रों के साथ वी.एस. वर्नोन जोन्स का दंतकथाओं का नया अनुवाद[65] और अमेरिका में मिलो विंटर द्वारा चित्रित बच्चों के लिए ईसप (शिकागो, 1919) थे।[66]
क्रोक्साल के संस्करणों से चित्र बच्चों को लक्षित अन्य कलाकृतियों के लिए आरंभिक प्रेरणा थे। 18वीं शताब्दी में वे उदाहरण के लिए[67] चेल्सिया, वेजवुड और फेंटन पॉटरीज के मेज पर खाने के बर्तनों पर प्रकट हुए. 19वीं शताब्दी के उदाहरणों में एक निश्चित शैक्षिक लक्ष्य के साथ स्टैफर्डशायर में ब्राउनहिल पॉटरीज द्वारा बड़ी संख्या में जारी वर्णमाला पट्टियों पर दंतकथाओं की शृंखला शामिल है। उतनी ही जल्दी दंतकथाओं को नर्सरी की चिमनी के चारों ओर टाइल्स के डिजाइनों में समान रूप से इस्तेमाल किया गया। बाद वाले 19वीं शताब्दी में मिन्टन्स[68], मिन्टन हॉलिन्स और मॉ एंड कंपनी द्वारा व्शेष रूप से डिजाइन की हुई शृंखला के रूप में और भी अधिक लोकप्रिय हुए थे, चानी मिट्टी पर ला फोंतेन की दंतकथाओं के सुप्रसिद्ध चित्रों को अक्सर इस्तेमाल किया गया था।[69]
नाटकीय रूप में दंतकथाएं
फ्रांस में ला फॉनटेन की दंतकथाओं की सफलता ने उनके आसपास नाटकों की रचना के लिये एक यूरोपीय फैशन शुरू कर दिया था। अपनी पांच-अंकीय काव्य-नाटिका लेस फेबल्स डी’ईसप (1690) के साथ, इसके प्रवर्तक एडमे बौर्सौल्ट थे, बाद में जिसका शीर्षक ईसप अ ला विले (नगर में ऐईसप) रखा गया था। इनकी लोकप्रियता ऐसी थी कि एक प्रतिस्पर्धी थिएटर ने अगले वर्ष यूटाची ले नोबल की आर्लाक्विन-ईसप को प्रस्तुत किया। बौर्सौल्ट ने फिर एक अगली कड़ी लिखी, ईसप अ ला कोर्ट (अदालत में ऐईसप), जो एक शूरता युक्त कॉमेडी थी जिसे सेंसर बोर्ड द्वारा रोक दिया गया था तथा 1701 में उसकी मृत्यू के बाद तक इसे प्रस्तुत नहीं किया गया था।[70] कोई चालीस साल बाद चार्ल्स स्टीफन पेस्सीलियर ने इसोप अ पार्नास्सी तथा इसोप ड टेम्प्स दो एकांकी लिखे थे।
इसोप अ ला विले एलेक्सांद्रिन दोहों में लिखी गयी थी तथा शांत राजनीतिक व्यस्तता और रोमांटिक समस्याओं का समाधान करने के लिये उसकी दंत कथाओं का उपयोग करते हुए तथा राजा क्रोइसस के अधीन सिज़िकस के गवर्नर, लीर्चस के सलाहकार के रूप में अभिनय करते हुए ईसप को एक शारीरिक रूप से बदसूरत चित्रित किया गया था। इन सब समस्याओं में एक ईसप की व्यक्तिगत समस्या है, क्योंकि गवर्नर की बेटी से उसकी सगाई हो चुकी है, जो उससे नफरत करती है तथा उसका एक यूवा प्रेमी है जिससे वह प्यार करती है। बहुत छोटा घटनाक्रम है, नाटक लगातार अंतराल पर मुक्त छ्न्द दंतकथाओं के लिये एक मंच के रूप में कार्य कर रहा था। इनमें शामिल हैं: एक लोमड़ी और एक बछिया, एक लोमड़ी और एक मुखौटा, एक बुलबुल, शरीर के अंग और पेट, हगरीय चूहा और ग्रामीण चूहा, एक चक्रवाक और एक तितली, एक लोमड़ी और एक कौआ, एक केकड़ा और उसकी बेटी, एक मेंढक और एक बैल, एक बावर्ची और एक कुत्ता, एक पतख और एक गिद्ध एक भेड़िया और एक मेमना, श्रम में पहाड़, तथा दो युगों और दो स्त्रियों के साथ आदमी.[71]
ईसप अ ला कौर में एक नैतिक व्यंग्य अधिक है, अधिकतर दृश्यों को दंतकथाओं की नैतिक समस्याओं के आवेदन के लिये सेट किया गया है, लेकिन रोमांटिक दिलचस्पी की आपूर्ति करने के लिये ईसप की प्रेमिका रोडोप को शामिल किया गया है।[72] शामिल सोलह दंतकथाओं में से, कोई चार ला फोंटेन से ली गयी हैं – एक बगुला, एक शेर और एक जूहा, एक बतख और एक चींटी, तथा एक बीमार शेर, – पांचवीं उसकी एक और कथा से शिक्षा उधार लेती है लेकिन उसके विवरण में परिवर्तन किया गया है और छठी में एंटोइन द ला रोशेफाउकॉड का एक नीति वचन एक नीति कथा के रूप में है। कुछ साधारण प्रदर्शनों के बाद, नाटक की बाद में लोकप्रियता में वृद्धि हुई तथा 1817 तक प्रदर्शनों की सूची में बना रहा। [73] इटली में बौर्सौल्ट का नाट्य भी प्रभावशाली था और दो बार उसका अनुवाद किया गया था। यह ल’एसोपो इन कोर्ते शार्षक के अंतर्गत 1719 में बोलोना से प्रकट हुआ, एंटोनियो जानीबोनी द्वारा अनुवाद किया गया था और गैस्परो गोच्ची द्वारा अनूदित ल फेवल अला डि कोर्ट ईसोप (Le Favole di Esopa alla Corte) 1747 में वेनिस से प्रकाशित हुआ। वही अनुवादक ईसोप अ ला विले (शहर में ईसप, वेनिस, 1748) के संसकरण के लिये जिम्मेदार था; उसके बाद 1798 में एक गुमनाम वेनिसवासी का तीन-अकों वाला रूपांतरण ईसप की दंतकथाएं, उस शहर में ईसप (ल फेवल द एसोप, ओसिआ ईसोपो इन सिटा) .[74]
इंग्लैंड में जॉन वैनब्रू द्वारा ईसप शीर्षक के अधीन नाटक को रूपांतरित किया गया तथा 1697 में लंदन में ड्यूररी लेन, रॉयल रंगमंच पर पहली बार प्रदर्शन किया गया और अगले बीस सालों तक लोकप्रिय रहा। [75] यह राजनीतिक गुटबाजी, राजवंशीय संकट और युद्ध का एक काल था और अधिक समय नहीं हुआ था जब ग्रब स्ट्रीट के सभी दलों के कलमघसीट सामयिक परिस्थितियों के लिए तुकांत दंतकथाओं को लागू करने के फैशन का अनुसरण कर रहे थे- अधिकतर गुमनाम रूप से. शार्षकों की पहली खेप 1698 में आई थी और इसमें शामिल थे एप्सोम पर ईसप, या कुछ चुनी हुई पद्य में दंतकथाएं ; स्नान में ईसप (एक गुणवत्ता वाले व्यक्ति द्वारा) ; टनब्रिज पर ईसप (किसी गुणी व्यक्ति द्वारा नहीं) ; ईसप टनब्रिज से लौटा; वाइटबॉल का पुराना ईसप, युवा ईसप को टनब्रिज और बाथ पर सलाह देते हुए (आप सोच सकते हैं कैसे व्यक्ति द्वारा हो सकती है) ; एम्सटर्डम में ईसप, टनब्रिज पर ईसप, बाथ, वाइटबॉल आदि को संतुलित करते हुए ; रिचमंड में ईसप, अपनी लंबी बीमारी से उबरा, एक कार्टून में कविता . अगले कुछ सालों में इनका अनुसरण किया इसलिंगटन से ईसप (1699); वेस्टमिन्स्टर में ईसप, या जैकडॉज की एक कहानी (1701); ईसप स्पेन में और ईसप पेरिस में (1701); ईसप अदालत में या राज्य की दंतकथाएं, थॉमस याल्डेन द्वारा (1702); भटकने वाला ईसप (1704); वर्तमान परिस्थितियों पर लागू की हुई दंतकथाओं के संग्रह के रूप में, ईसप पुर्तगाल में (1704); ईसप स्कॉटलैंड में (1704); और ईसप यूरोप में, या दंतकथाओं और नैतिक शिक्षा के माध्यम से, इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, फ्रांस में मौजूद हालातों का एक सामान्य सर्वेक्षण (1701/2 के डच ईसप यूरोप में का एक 1706 का रूपांतरण). मि. प्रेस्टन के एक बियर गार्डन में ईसप, एक दृष्टकोण द्वारा देर से कुछ कटाक्ष प्रस्तुत किए गए और मास्करेड में ईसप (1718).[76] उस समय का एक और शीर्षक था ईसप पोशाक में, या परिचित पद्य में लिखित, बर्नार्ड मेंडेविले (1704) द्वारा कुछ ला फोंटेन की अंग्रेजी में पहली बार नकल शामिल थी।[77]
20वीं शताब्दी मेंईसप की अलग-अलग दंतकथा को अनुप्राणित कार्टून में रूपांतरित किया जाने लगा था, सर्वाधिक उल्लेखनीय रूप से फ्रींस और संयुक्त राज्य अमेरिका में. कार्टूनिस्ट पॉल टेरी ने 1921 में अपनी खुद की श्रृंखला ईसप की फिल्म दंतकथाएं शुरू की थी बाद में 1928 में इसका अधिग्रहण वैन ब्यूरेन स्टूडियो ने कर लिया थआ, कथानक में शायद ही ईसप के दंतकथआओं से कोई संबंध था। 1960 के दशक के शुरू में, अनुप्राणक जे वार्ड ने छोटे कार्टूनों की एक टीवी श्रृंखला ईसप और पुत्र के शीर्षक से बनाई थी जिसे पहली बार द रॉकी एंड बुलविंकल शो के हिस्से के रूप में प्रसारित किया गया था। वास्तविक दंतकथाओं की नकल का परिणाम था श्लेशालंकार जो मूल शिक्षाओं पर आधारित था। अमेरिका में 1971 की टीवी फिल्म ईसप की दंतकथाएं में दो दंतकथाएं शामिल थी। यहां ईसप एक काला कहानी सुनानेवाला है जो दो बच्दोचों को जो मुग्ध होकर एक बाग में घूम रहे थे, एक कछुए की दंतकथाएं सुनाता है, एक कछुआ और एक गरुड़ तथा एक कछुआ और एक खरगोश. दंतकथाएं खुद कार्टून के रूप में दिखाई गई हैं।[78]
1989-91 के बीच, पचास ईसप आधारित दंतकथाओं की प्रांसीसी टीवी पर ज्यामितीय दंतकथाएं के रूप में पुनर्व्याख्या की गई थी जिन्हें बाद में डीवीडी पर जारी किया गया था। इनमें एक कार्टून में सभी पात्र अनुप्राणित ज्यामितीय आकारों के संयोजन में प्रकट होते हैं साथ में ला फोंटेन की मूल कविता का पियरे पेरे द्वारा कठबोली संस्करण है।[79] 1983 में जापान में दंतकथाओं का एक विस्तारित मंगा संस्करण ईसप की दंतकथाएं (ईसोपू मोनो गोटारी) बना था,[80] और चीन में भी बच्चों के लिए दंतकथाओं पर आधारित एक चीनी टीवी शृंखला बनी थी।[81]
2010 में दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में फुगार्ड थिएटर में ईसप की दंतकथाएं शीर्षक से एक संगीत नाटक निर्मित किया गया था।[82]. नाटक एक काले गुलाम ईसप की कहानी बताता है जो सीखता है कि आजादी अर्जित की जाती है और पूरे समय जिम्मेदार बना रहता है। उसके शिक्षक जानवर पात्र हैं जो उसे अपनी यात्रा में मिलते हैं। जो दंतकथाएं वे सुझाते हैं उन में शामिल हैं एक कछुआ और एक खरगोश एक शेर और एक बकरी, एक भेड़िया और एक सारस, मेंढ़क जिनको एक राजा की तलाश थी और तीन अन्य, मरिम्बा, अधिकतर कंठसंगीत तथा परक्यूसन में संगीत के माध्यम से जिन्हें जीवंत बना दिया गया था।[83]
एसोप द्वारा कुछ कहानियों की सूची
पेरुगिया में फोंटाना मैगौएर (मुख्य फाउंटेन) का विस्तार, निकोला पिसानो और गिओवैनी पिसानो द्वारा 1275 के बाद की मूर्ति, एक लोमड़ी और एक सारस और एक लोमड़ी और एक मेम्ने की कहानियां दिखा रहे हैं
वर्सेलिस के व्यामोह में “एक लोमड़ी और एक सारस” के पूर्व मूर्तियों का नक्काशी द्वारा प्रदर्शन
अधिक व्यापक सूची के लिए एसोप की कहानियों के पेरी इंडेक्स देखें
निम्नलिखित दंतकथाओं में प्रत्येक के लिए समर्पित अलग लेख हैं:
एक चींटी और एक टिड्डी
एक गधा और एक सुअर
शेर की खाल में एक गधा
एक भालू और यात्री
एक लड़का जो चिल्लाया, भेड़िया
एक बिल्ली और एक चूहा
एक मुर्गा और मणि
एक मुर्गा, एक कुत्ता और एक लोमड़ी
एक कौवा और एक घड़ा
ह्रदय बिना एक हिरण
एक कुत्ता और उसकी परछाईं
एक किसान और एक सारस
एक किसान और एक सांप
एक मछुआरा और एक छोटी मछली
एक लोमड़ी और एक कौवा
एक लोमड़ी और अंगूर
लोमड़ी और रोगी शेर
लोमड़ी और सारस
मेंढक और बैल
मेंढक जो एक राजा चाहते थे
सोने के अंडे देने वाली हंसिनी
बाज और बुलबुल
ईमानदार लकड़हारा
शेर और चूहा
शेर का हिस्सा
शरारती कुत्ता
श्रम में पहाड़
उत्तरी हवा और सूरज
बलूत और सरकंडा
कछुआ और पक्षी
कछुआ और खरगोश
शहरी चूहा और ग्रामीण चूहा
वीनस और बिल्ली
लोमड़ी और मेमना
लोमड़ी और सारस
दंतकथाएं जिनका श्रेय गलती से ईसप को दिया गया है
भालू और माली
बिल्ली के गले में घंटी बांधना (परिषद में चूहा के रूप में भी जानी जाती है)
लड़का और पहाड़ी बादाम
मुर्गा और लोमड़ी
नांद में कुत्ता
लोमड़ी और बिल्ली
शेर, भालू और लोमड़ी
कड़ाही से आग में कूदना
ग्वालिन और उसकी बाल्टी
मिल मालिक, उसका बेटा और गधा
बिच्छू और मेंढक
गड़रिया और शेर
अभी भी पानी गहरा बह रहा है
भेड़ के भेस में भेड़िया
एक स्त्री, एक गधा और एक अखरोट का पेड़
डूबी हुई महिला और उसका पति
(मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से)