हस्तस्य भूषणं दानं सत्यं कण्ठस्य भूषणम् ।
कर्णस्य भूषणं शास्त्रं भूषणै: किं प्रयोजनम् ॥
कर्णस्य भूषणं शास्त्रं भूषणै: किं प्रयोजनम् ॥
हाथ का आभूषण दान करना है, कण्ठ का आभूषण सच्चाई है, कान का आभूषण शास्त्र सुनना है तो (बाह्य) आभूषणों का क्या प्रयोजन ।
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