एक पीपल के वृक्ष पर कौआ और उसकी पत्नि रहते थे । दोनों पति पत्नि में बहुत प्यार था ,दोनों कभी एक पल के लिए भी एक दुसरे से अलग नही होते थे । सुबह होते ही दोनों खाने की तलाश में निकल जाते और शाम होने पर घर लौटते ।बहुत ही आनन्द पूर्वक दोनों अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे ।किन्तु उन्हें एस बात का दुख था कि उनके घर कोई संतान नही थी ।कुछ समय बाद एक दिन उसकी पत्नि गर्भवती हो गई, यह सुनकर कौआ खुशी से झुमने लगा, कुछ ही समय में उनके घर दो प्यारे बच्चे आ गए, दोनों खुशी के मारे नाचने लगे, और आनन्द के साथ अपने बच्चो का पालन-पोषण करने लगे, एक दिन भोजन का प्रबंध कर जब शाम को घर लौटें तो उनके होश उड़ गए, क्योंकि दोनों बच्चे गायब थे, तब दोनों ने अपने आस-पास खुब ढुँढा, और फिर थक हार कर बैठ गए, उसी पेड़ पर एक बहुत बड़ा जहरीला साँप रहता था, कौआ समझ गया, कि बच्चों को इसी साँप ने खाया है , वह उसको अपना शत्रु समझ्ने लगा । कुछ समय के पश्चात उसकी पत्नि फिर से गर्भवती हुई ,उसने अंडे दिए,कौआ बोला- प्रिये, तुम इनकी रक्षा करो, मै अकेले ही भोजन का प्रबंध करके आता हुँ ।पत्नि वही रहकर अपने अंडों की रक्षा करने लगी, तब एक दिन पत्नि बोली – एक-दो दिन में बच्चे बाहर आने वाले है , अब साँप से इनकी रक्षा कैसे करेगें, कौआ बोला- वह बहुत बड़ा और शक्तिशाली साँप है, मैं इतना ताकतवर नही हुँ, कि उसका सामना कर सकुँ, किन्तु मुझें शक्ति से नही बल्कि अपनी बुद्धी से उसे हराना है ,वह अपनी पत्नि से बोला-
पास के सरोवर में एक राजकुमार नहाने के लिय आता है, वह नहाने से पहले अपने सारे गहने उतार देता है, उसमें मोतियों का एक हार भी है, मै वह हार लेकर आऊँगा , फिर तुम देखना मैं क्या करता हुँ। कौआ सुबह उठकर सरोवर के पास गया, वहाँ राजकुमार अपने सारे गहने उतारकर नहाने के लिए तालाब में गया, तब कौआ मोती का हार अपनी चोंच में दबाकर उड़ने लगा, यह देखकर सिपाही उसके पीछे भागने लगे, तब कौआ ने वह हार ले जाकर साँप के बिल के बाहर रख दिया, साँप ने बाहर निकलकर जब उस हार को देखा ,तो वह तुरन्त हार लेकर बिल में घुस गया। राजा के सिपाही ने सब देख लिया ,वह बिल के पास पहुँच कर बिल को खोदने लगे, साँप को लाठी से पीट कर मार डाला और हार ले आए,
इस प्रकार कौए ने बड़ी चतुराई के साथ अपनी बुद्धी से शत्रु को मरवा दिया, और वह अपने बच्चों और पत्नि के साथ बड़े आनन्दपूर्वक खुशी खुशी रहने लगा ।इसीलिए कहते है कि शक्ति से बुद्धि ज्यादा बलवान होती है, बुद्धि के बल से बड़े-बड़े शक्तिशाली को भी परास्त किया जा सकता है ।
पास के सरोवर में एक राजकुमार नहाने के लिय आता है, वह नहाने से पहले अपने सारे गहने उतार देता है, उसमें मोतियों का एक हार भी है, मै वह हार लेकर आऊँगा , फिर तुम देखना मैं क्या करता हुँ। कौआ सुबह उठकर सरोवर के पास गया, वहाँ राजकुमार अपने सारे गहने उतारकर नहाने के लिए तालाब में गया, तब कौआ मोती का हार अपनी चोंच में दबाकर उड़ने लगा, यह देखकर सिपाही उसके पीछे भागने लगे, तब कौआ ने वह हार ले जाकर साँप के बिल के बाहर रख दिया, साँप ने बाहर निकलकर जब उस हार को देखा ,तो वह तुरन्त हार लेकर बिल में घुस गया। राजा के सिपाही ने सब देख लिया ,वह बिल के पास पहुँच कर बिल को खोदने लगे, साँप को लाठी से पीट कर मार डाला और हार ले आए,
इस प्रकार कौए ने बड़ी चतुराई के साथ अपनी बुद्धी से शत्रु को मरवा दिया, और वह अपने बच्चों और पत्नि के साथ बड़े आनन्दपूर्वक खुशी खुशी रहने लगा ।इसीलिए कहते है कि शक्ति से बुद्धि ज्यादा बलवान होती है, बुद्धि के बल से बड़े-बड़े शक्तिशाली को भी परास्त किया जा सकता है ।
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