गुरू से शिष्य ने कहा: गुरूदेव ! एक व्यक्ति ने आश्रम के लिये गाय भेंट की है। 
गुरू ने कहा अच्छा हुआ । दूध पीने को मिलेगा। 
एक सप्ताह बाद शिष्य ने आकर गुरू से कहा: गुरू ! जिस व्यक्ति ने गाय दी थी, आज वह अपनी गाय वापिस ले गया । 
गुरू ने कहा – अच्छा हुआ ! गोबर उठाने की झंझट से मुक्ति मिली । 
‘परिस्थिति’  बदले तो अपनी ‘मनस्थिति’ बदल लो , बस दुख सुख में बदल जायेगा।
“सुख और दुख आख़िर दोनों मन के ही तो समीकरण हैं। 
“अंधे को मंदिर आया देखलोग हँसकर बोले -“मंदिर में दर्शन के लिए आए तो हो , पर क्या भगवान को देख पाओगे ? “
अंधे ने कहा  – ” क्या फर्क पड़ता है , मेरा भगवान तो मुझे देख लेगा . . 
“द्रष्टि नहीं द्रष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए” ।
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